ढाका शहर में रेस कोर्स मैदान पर कायदे आज़म मुहम्मद अली जिन्ना ने चिल्ला-चिल्ला कर कहा था. उर्दू ही पाकिस्तान की राष्ट्रीय भाषा होगी और जो इसके ख़िलाफ़ है वो देश का दुश्मन है. बंगालियों ने उसी सभा में इशारा दे दिया था कि उन्हें जिन्ना की ये तकरीर पसंद नहीं आई उन्हें ये अपनी भाषा, संस्कृति और उस वफ़ादारी की तौहीन लगी, जो उन्होंने भारत से अलग देश पाकिस्तान बनाने में दिखाई थी. उसी दिन से ईस्ट पाकिस्तान और वेस्ट पाकिस्तान के बीच एक जंग की शुरुआत हो गई, सुनिए पूरा किस्सा नितिन ठाकुर से 'एक बखत की बात' में.
प्रोड्यूसर- कुंदन
साउंड मिक्स- सचिन द्विवेदी
नोट- कहानी को रोचक बनाने के लिए कुछ हिस्सों में नाटकीयता का सहारा लिया गया है.
हीरा सदा के लिए न होता अगर एक विज्ञापन न बनता: एक बखत की बात, Ep 16