हम भारतीयों का रेल से नाता थोड़ा जुदा है. ज़रा गहरा है. बचपन के तमाम किस्सों में कोई वाकया रेल से जुड़ा ज़रूर होगा. आज पढ़ाकू नितिन के चौथे एपिसोड में हम चलेंगे रेल के ही सफ़र पर. इस यात्रा में कई स्टेशन आएँगे. कौन कौन से हैं वो नीचे लिखे हैं, तो क़िस्से कहानियों के ज़रिए रेल की दिलचस्प कहानी को समझाने वाले हैं डॉ अरूप के चटर्जी जो रेल की संस्कृति और इतिहास पर तीन शानदार किताबों के लेखक हैं. इस बातचीत में सुनिए:
भारतीय रेल 170 साल पहले कितनी अलग थी?
रेल ने अंग्रेज़ों का ज़्यादा भला किया या हिंदुस्तानियों का?
क्यों ट्रेन में नहीं बैठा करते थे भारत के लोग?
1857 की क्रांति में रेल का रोल क्या था?
आज़ादी की लड़ाई में रेल का इस्तेमाल कैसे हुआ?
साहित्य और फ़िल्मों में भारत की रेल कैसी दिखती है?
कौन था व्हीलर जिसने प्लेटफॉर्म्स पर खोले बुकस्टोर?
चाय और रेल का नाता कहां से शुरू हुआ?
रवींद्रनाथ टैगोर के दादा का रेल से क्या संबंध था?
दो भारतीय भाई जिन्होंने सबसे पहले रेल बिज़नेस में हाथ डाला
भारतीय रेलवे में भूतों के क़िस्से
झाझा के एक बाबा ने छड़ी से कैसे बनवाई रेल की सुरंग
कहां गुम हो रहे हैं ट्रेन में छोले- टॉफी बेचनेवाले लोग
प्राइवेटाइज़ेशन रेल की विरासत को बचाएगा या लुटाएगा?
भारतीय रेल ने भारत को गुलाम बनाया या आज़ाद कराया
किताब, जिनका ज़िक्र इस बातचीत में आया-
The Purveyors of Destiny: A Cultural Biography of the Indian Railways (Bloomsbury)- Arup K Chatterji
The Great Indian Railway Saga (Roli 2021)- Arup K Chatterji
The Great Indian Railways (Bloomsbury)- Arup K Chatterji
The Hound of the Baskervilles- Arthur Conan Doyle
My Own True Ghost Story - Rudyard kipling
First Class Compartment- Satyajit Ray
Malgudi Days- RK Narayan
साउंड मिक्सिंग: कपिलदेव सिंह
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रामसेतु पर चलकर श्रीलंका आते-जाते थे लोग?: पढ़ाकू नितिन, Ep 138