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दो ख़त | स्टोरीबॉक्स | EP 47

दो ख़त | स्टोरीबॉक्स | EP 47

वो कहते हैं कि प्रेम पत्रों का ज़माना चला गया, अब आजकल तो इधर मैसेज टाइप किया उधर भेज दिया। लेकिन सूचना की इस आंधी में प्रेम पत्र फिर भी प्रेम पत्र ही रहेंगे क्योंकि भेजे हुए सेंदेश पढ़ कर ऊपर सरक जाते हैं लेकिन प्रेम पत्र कई कई बार पढ़ा जाता है। सुनिए हिंद पॉकेट बुक्स की किताब 'यारेख' से चुने हुए दो ख़त, जिन्हें लिखा है कवि आलोक धन्वा और आकांक्षा पारे काशिव ने 'स्टोरीबॉक्स' में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से

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