वो कॉलेज की सबसे खूबसूरत लड़की नहीं थी और न ही सबसे ज़हीन। लेकिन फिर भी उसका आस-पास होना अच्छा लगता था। उसकी बेबाक़ी उसे औरों से अलग करती थी। हमने एक दूसरे को पसंद किया, एक दूसरे का हाथ थामा लेकिन वक्त की आंधी में हमारे हाथ छूटे तो फिर दोबारा एक वृद्धाश्रम में मिले - सुनिए कुशलेंद्र श्रीवास्तव की लिखी कहानी - एक प्यार अधूरा सा - स्टोरीबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी के साथ.