स्पेशल सीरीज़ ‘क़िस्सागोई’ में आपको लखनऊ समेत दुनिया जहान के किस्से सुनाएंगे. ये कहानियां आप तक पहुंचाएंगे ‘क़िस्सा-क़िस्सा लखनउवा’ किताब के लेखक और मशहूर दास्तानगो हिमांशु बाजपेयी. आज की सीरीज़ में किस्सा महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का. जब ऑल इंडिया रेडियो के कई जगह दफ़्तर बने तब ज्यादातर उर्दू के एंकर हुआ करते थे जिन्हें हिंदी की बिल्कुल समझ नहीं थी. ऐसे में हिंदी के लोगों ने ख़ासकर साहित्यकारों ने रेडियो में जाने से परहेज़ रखा था. लेकिन जब एक बार निराला गए तो क्या हुआ ख़ुद सुनिए
शहीद चंद्रशेखर आज़ाद की भविष्यवाणी जब सच हुई : क़िस्सागोई Ep 53
मोहम्मद रफ़ी से ये प्यारी शिकायत थी इस एक्टर को : क़िस्सागोई Ep 48