20 जुलाई 2025 को जापान में Upper House के लिए चुनाव हुए और नतीजे इतने चौंकाने वाले नहीं रहे, लेकिन एतिहासिक ज़रूर थे. प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी यानी LDP और उसके सहयोगी कोमेतो गठबंधन बहुमत से पीछे रह गए। उन्हें सिर्फ़ 47 सीटें मिलीं, जबकि ज़रूरत थी कम से कम 50 की. इस बार महंगाई, खासकर चावल की बढ़ती क़ीमतें और देश में विदेशी मज़दूरों को लेकर चिंता बड़ी बहस का मुद्दा रही। और इसी माहौल में उभरी एक नई ताक़त Sanseito पार्टी, जिसके नेता सोहेई कामिया ने “Japanese-First” जैसे नारों के साथ बड़ा असर डाला. ऐसे ही नारे हमने अमेरिका में राष्ट्रपती ट्रंप की रैली में भी सुन चुके हैं. ट्रंप ने जैसे बाहर से आकर अमेरिका की राजनीति के केंद्र में पहुंच गए, क्या जापान में भी ऐसा होता दिख रहा है… क्या इशिबा सरकार बच पाएगी? जापान की आर्थिक और विदेश नीति का क्या होगा? और भारत जैसे साझेदार देशों के लिए इसका क्या मतलब है? सुनिए 'पढ़ाकू नितिन' में.
Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
Trump के MAGA Supporters क्यों है उनसे नाराज़?: पढ़ाकू नितिन, Ep 223