आप अगर उसी जनरेशन के हैं जो नब्बे के दशक में होश संभाल रही थी तो शक्तिमान, ब्योमकेश बख्शी, मालगुडी डेज़ को भूले थोड़े ही होंगे. कभी आपके दिल में सवाल भी उठा होगा कि कौन लोग हैं जो ऐसे दिलकश प्रोग्राम बना रहे हैं. आज पढ़ाकू नितिन की बैठकी में नितिन ठाकुर के साथ हैं प्रो अरूप चटर्जी जिनका नब्बे के दशक की एडवरटाइज़िंग पर ज़बरदस्त शोध है और साथ में राजशेखर व्यास जिन्होंने चालीस साल तक दूरदर्शन की यात्रा को ना सिर्फ जिया बल्कि उसे दिशा दी. तो आज की मज़ेदार बैठकी में ऐसे अनसुने क़िस्सों का आनंद लीजिए जो आपको उसी दौर में ले जाएंगे.
इस पॉडकास्ट में सुनिए:
- दूरदर्शन के यादगार सीरियल्स के पीछे की कहानियां
- डीडी मेट्रो ने कैसे डीडी वन को टक्कर दी?
- कैसे बनाया जाता था सनडे को स्पेशल?
- सरकारी कैद से बाहर कैसे निकला था दूरदर्शन?
- जब टीवी शो पर सवालों से हो जाती थी मंत्रियों की छुट्टी
- राजीव गांधी ने क्यों दी थी दूरदर्शन को छूट?
- सुषमा स्वराज ने दूरदर्शन को क्या दिया?
- क्यों नहीं लौट पा रहा दूरदर्शन का पुराना दौर?
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रामसेतु पर चलकर श्रीलंका आते-जाते थे लोग?: पढ़ाकू नितिन, Ep 138