'खालिस्तान' आजकल खूब ट्रेंड में है, लेकिन ये शब्द आजकल का नहीं है और ना ही ये मूवमेंट. इसके बीज सौ साल से भी पहले पड़े थे और सच ये है कि खालिस्तान के मायने वक्त गुज़रने के साथ बदलते रहे. 'पढ़ाकू नितिन' में इंडिया टुडे मैग्ज़ीन के डिप्टी एडिटर अनिलेश एस महाजन ने खूब सरलता से इस जटिल मुद्दे के सारे पहलू खोलकर रख दिए.
कव्वाली को 750 सालों बाद भी कौन ज़िंदा रखे हुए है?: पढ़ाकू नितिन, Ep 114
खोई हुई नदियों को खोज निकालना क्यों ज़रूरी है?: पढ़ाकू नितिन, Ep 110
इस्लाम के दक़ियानूसी हिस्सों की सर्जरी कौन करेगा?: पढ़ाकू नितिन, Ep 108
मणिपुर में हर घर हथियार के लिए ज़िम्मेदार कौन?: पढ़ाकू नितिन, Ep 106