मार्च 2023 में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि ट्रांसजेंडर, समलैंगिकों और सेक्स वर्कर्स को साइंटिफिक एविडेंस के आधार पर ब्लड डोनेशन से बाहर रखा गया है. यानी ट्रांसजेंडर्स ब्लड डोनेट नहीं कर सकते. एक याचिका के बाद हो रही सुनवाई में केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का ये जवाब आया था. आगे ये भी कहा गया कि नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूशन काउंसिल ने ये रिसर्च की है और ये साइंटिफिक एविडेंस पर आधारित है। सुनने में ये ट्रांसजेंडर्स के साथ भेदभाव की तरह लगता है. ट्रांसजेंडर्स के प्रति हो रहे अलग अलग तरह के भेदभाव का साथ देते भी इसे देखा गया. इसलिए भी इस पर बात करना और जरूरी हो जाता है. क्या है आखिर वो साइंटिफिक बातें जो ट्रांसजेंडर्स को ब्लड डोनेशन से रोकती हैं? कहीं ये भी तो परसेप्शन बेस्ड नहीं? इन्हीं सब सवालों के जवाब सुनिए इस पॉडकास्ट में.
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