प्रेम, प्यार, इश्क़, मोहब्बत, और लव को हम अलग-अलग नामों से जानते है. दुनिया में शायद ही इसके अलावा कुछ ऐसा होगा जो भाषा, संस्कृति, धर्म इन सबसे बंधा नहीं है. इसकी एक वजह ये है कि प्रेम का ज़िक्र हर समय में मिलता है. तो आखिर प्रेम होता क्या है और इस पर तुलसीदास, सूरदास, मीरा, कबीर और अमीर खुसरो क्या सोचते हैं. सुनिए ‘ज्ञान ध्यान’ में.
रिसर्च: माज़ सिद्दीक़ी
साउंड मिक्सिंग: सूरज सिंह
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