साल 2022, देश के गृह मंत्रियों की एक बैठक थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब अपना संबोधन शुरू किया. तो और बातों के बीच में यह भी प्रस्ताव रख दिया कि देश भर के पुलिसकर्मियों की क्यों न एक ही पोशाक कर दी जाए? विपक्ष ने इस 'वन नेशन, वन यूनिफॉर्म' की कोशिश को संविधान और भारत की डाइवर्सिटी, प्लुरैलिटी (या यूं कहें कि विभिन्नता और बहुलता) के ख़िलाफ़ बताया था. कुछ ने तो यहां तक कहा कि आज एक देश, एक वर्दी की बात है, कल 'एक देश, एक धर्म', 'एक देश, एक भाषा' की बात न होने लगे! बहरहाल, दिन कुछ बीतें. नई बहस 'एक देश, एक चुनाव' पर होने लगी है. भारत में जहां त्योहार की तरह चुनाव लगातार होते रहते हैं. सवाल है कि एक देश, एक चुनाव का विचार कितना प्रैक्टिकल है? आज़ादी के बाद शुरुआत में जब चुनाव साथ ही होते थे, तब ये सिलसिला बिगड़ कैसे गया? एक साथ चुनाव कराने के फ़ायदे अधिक हैं या नुकसान, सुनिए 'ज्ञान ध्यान' में.
प्रोड्यूसर - शुभम तिवारी
साउंड मिक्स - सचिन द्विवेदी
कैसे पहचानें कि कोई वीडियो फेक है या रियल?: ज्ञान ध्यान, Ep 850