बीते कुछ दिनों में कई देशों से तख्तापलट की खबरें बैक टू बैक आई. म्यांमार से लेकर नाइजर तक. कितने लोगों ने नाइजर का नाम ही पहली बार तख्तापलट की खबर के साथ सुना होगा. खैर, जब तख्तापलट की बात करनी हो तो दूर क्यों जाना. पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान ही देख लीजिए. 75 साल के इतिहास में वहाँ 33 साल से ज्यादा अंदरून-ए- मुल्क में सेना का शासन रहा है. पहला सैनिक तख्तापलट 1956 में जनरल अयूब खान ने किया था,उसके बाद सेना पूरी तरह से कभी अपनी छावनी में नहीं लौटी. सेना का दखल बढ़ता गया और वक्त वक्त पर कोई मुशर्रफ या कोई जिया उल हक चुनी हुई सरकारों को ठेंगा दिखाते रहे. लेकिन ऐसा है क्या पाकिस्तान में जिससे सेना के लिए तख्तापलट इतना आसान हो जाता है? क्या वजह है एक मुल्क जो लोकतंत्र होने के बावजूद अपने सेनाप्रमुखों को तानाशाह बनने से नहीं रोक पाता? सुनिए इस एपिसोड में.
साउंड मिक्स - कपिल देव सिंह
कोका कोला के चलते क्रिसमस में लाल रंग हुआ पॉपुलर?: ज्ञान ध्यान
फडणवीस का एंटी अर्बन नक्सल बिल UAPA से कितना अलग?: ज्ञान ध्यान