आमतौर पर स्पीकर, सत्ता में मौजूद पार्टी का समर्थित उम्मीदवार ही लोकसभा अध्यक्ष बनता है, लेकिन ये कोई थंब रूल नहीं है, जनर्ल प्रैक्टिस है. नियम मोटा-मोटी यही कहता है कि सभा के सदस्य बहुमत के साथ स्पीकर का चुनाव करते हैं. मगर चुना हुआ अध्यक्ष जब कुर्सी पर बैठ कर पक्षपात करने लगे तो उसे हटाया कैसे जाए? सुनिए आज के एपिसोड में
प्रड्यूस- कुंदन
साउंड मिक्स- सौरभ कुकरेती
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