बंद कमरे में अकेले बैठे हुए अचानक डर जाना,ऐसा लगना कि कमरे में और कोई है. नींद में अचानक उठ कर बैठ जाना. भीड़ में भी अकेलेपन का एहसास हो या फिर किसी खास जगह जाने से डरना. हॉरर फिल्मों में किसी कैरेक्टर के साथ ये सब होना बहुत कॉमन है. उसे फिल्माया भी इसी तरह से जाता है कि देखने वाले डर जाएं. पुराने जमाने में और अभी भी देश के कुछ हिस्सों में जब भी किसी को इस तरह की समस्या होती है तो लोग भूत-प्रेत का साया मानते हैं. कोई बुरी शक्ति का प्रभाव मानते हैं. लेकिन असल में इस तरह की फीलिंग आना,ऐसे डरों का दिमाग़ में बैठ जाना एक बीमारी है. जिसका इलाज भी वैसा ही है जैसा किसी और बीमारी का. इसे कहते हैं हलूसिनेशन, हिन्दी में मति भ्रम. सुनिए क्यों होता है ये और इसका इलाज क्या है?
साउंड मिक्स - अमृत रेजी
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