डाउन सिंड्रोम क्या है? इसे एक आम आदमी कैसे समझे? क्या यह कोई बीमारी है या एक जन्मजात स्थिति? भारत में डाउन सिंड्रोम के कितने मामले सामने आते हैं? क्या इसके आंकड़े बढ़ रहे हैं? माता-पिता को कैसे पता चलता है कि उनके बच्चे को डाउन सिंड्रोम है? क्या इस स्थिति की पहचान गर्भावस्था के दौरान हो सकती है? डाउन सिंड्रोम दिमाग को कैसे प्रभावित करता है? क्या इसमें मानसिक विकास धीमा होता है? क्या ऐसे बच्चों में अन्य न्यूरोलॉजिकल समस्याएं भी होती हैं जैसे एपीलेप्सी, ऑटिज्म या हाइपरएक्टिविटी? क्या Down Syndrome और Autism में फर्क है? आम लोग अक्सर दोनों को मिला देते हैं! इन बच्चों का दिमाग़ी विकास कितना संभव है? क्या ये पढ़-लिख सकते हैं और काम कर सकते हैं? सितारे ज़मीन पर जैसी फिल्मों के ज़रिए समाज में इस तरह की स्थितियों को लेकर जागरूकता लाना असरदार होता है? बच्चों के माता-पिता में acceptance कैसे आता है? इलाज, देखभाल और समाज में स्वीकार्यता डाउन सिंड्रोम का कोई इलाज है या सिर्फ थेरेपी ही सहारा है? किन-किन प्रकार की थेरेपी फायदेमंद होती हैं — Speech, Occupational या Physical Therapy? समाज और स्कूल ऐसे बच्चों के लिए क्या जिम्मेदारी निभा सकते हैं? सुनिए डाउन सिंड्रोम से जुड़े हर सवाल का जवाब डॉक्टर विनीत बंगा से हेलो डॉक्टर के इस एपिसोड में.
प्रड्यूसर : अतुल तिवारी
साउंड मिक्स : रोहन/सूरज