तीन ताल के 44वें एपिसोड में कमलेश 'ताऊ', पाणिनि ‘बाबा’ और कुलदीप ‘सरदार' से सुनिए:
- आज तक रेडियो के व्हाट्सएप नम्बर की लॉन्चिंग. क्या भेजें और क्या नहीं? किसी ज़माने में बाबा को लोग डायरेक्टरी क्यों कहते थे?
- व्हाट्सएप जोक्स कितनी तरह के होते हैं? फ़ैमिली जोक्स के एस्थेटिक्स इतने बुरे क्यों? ‘जय ब्राह्मण’ ग्रुप की कहानी.
- अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के बढ़ते कब्ज़े के बहाने वहाँ के हालात पर बात. ताऊ ने क्यों कहा कि तालिबान से पहले पाकिस्तान का कुछ करने की ज़रूरत है.
- धर्म चाहने वालों को भी धार्मिक राज्यों से चिढ़ क्यों है? मज़बूत तालिबान कल को पाकिस्तान के लिए भी मुश्किलें पैदा कर सकता है क्या?
- भारत अफ़ग़ानिस्तान में कुछ क्यों नहीं कर रहा? ताऊ की भारत सरकार से अपील, इन अफ़ग़ानियों को ज़रूर बचा लाएँ.
- आज़ादी का मतलब ताऊ, बाबा और सरदार के लिये क्या है? बाबा को किस आज़ादी की तलाश बरसों रही?
- आज़ादी मिलती है या हासिल करनी पड़ती है? बाबा ने 10वीं क्लास में आज़ाद होने के लिये क्या किया? क्या कोई आज़ाद नहीं? ताऊ और बाबा ने दो कहानियों के माध्यम से आज़ादी का मायने समझाया.
- ‘सादा जीवन उच्च बिज़ार’ में चोटी कट जाने पर आहत हुए पण्डित जी की चर्चा. किस बात पर बाबा ने पण्डित जी का साथ दिया.
- मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर से आई एक लिसनर की चिट्ठी जिसने हमें गुदगुदाया. ताऊ ने क्यों कहा श्रोता बनना है तो नागेन्द्र जी की तरह बनें.
- और कुछ बातें घेवर के बारे में.
प्रड्यूसर: शुभम तिवारी
साउंड मिक्सिंग: सचिन द्विवेदी
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