
तीन ताल के इस एपिसोड की शुरुआत हुई DOES GODS EXITS के मुद्दे पर. नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में 21 दिसंबर 2025 को एक डिबेट आयोजित हुई. जिसमें मशहूर शायर-गीतकार और नास्तिक होने का दावा करने वाले जावेद अख्तर एक तरफ थे. और दूसरी तरफ थे इस्लामिक स्कॉलर मुफ्ती शमाइल नदवी. लल्लनटॉप के संपादक सौरभ द्विवेदी इस डिबेट को मॉडरेट कर रहे थे. डिबेट के बाद सोशल मीडिया पर लोग आस्था, तर्क और नैतिकता के धड़ों पर बंट गए. आस्तिकों और नास्तिकों में बहस पुरानी है. कभी वो विज्ञान और अंधविश्वास के दायरे में हुई तो कभी धर्मगुरुओं और उनके विरोध को लेकर. कुलमिलाकर आस्थावानों के बीच की लड़ाई में नास्तिकों की आस्था एक अलग ही मोर्चा है. तीन ताल में इसके तीसरे पक्ष पर भी बात हुई. सरदार पर वाम का बाम होने का इल्जाम और ईश्वर-अल्लाह-भगवान-गॉड कौन हैं, ताऊ ने समझाया. सारी धार्मिक-किताबें मनुष्य ने लिखी हैं? साइंस ईश्वर को साबित नहीं कर सकती? जावेद अख्तर से भिड़ने वाले मुफ्ती शमाइल नदवी की मुश्किल? गॉड का अनुवाद क्या हो सकता है?आस्तिकों और नास्तिकों में बहस बेकार क्यों? अपने-अपने भगवान अपने-अपने विश्वास और Contingency और Infinite Regress क्या है? इसके बाद बात हुई बांग्लादेश में हिंसा और भारत में इस्लामोफोबिया पर. बीते कुछ दिनों में बांग्लादेश में दो हिंदुओं की लिंचिंग के मामले सामने आए. प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल का निधन हो गया. वह 88 साल के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के एम्स में उन्होंने आखिरी सांस ली. विनोद कुमार शुक्ल की जादुई दुनिया और उनके लिखे से मोह पर बात हुई. अंत में आई प्रिय तीन ताल श्रोताओं की चिट्ठियां

अवैध नान, केरले'स कैब ड्राइवर और चाय पर चर्चिल : तीन ताल S2 135

प्रदूषण का 'प्र' पलायन का लॉयन और रेलवे की थाली : तीन ताल, S2 129

गॉसिप से क्रांति, फार्ट ऑफ लिविंग और कटियाबाज़ी का सुख : तीन ताल, S2 128