तीन ताल के 54वें एपिसोड में कमलेश 'ताऊ', पाणिनि ‘बाबा’ और कुलदीप ‘सरदार' से सुनिए:
-लम्बे अरसे बाद तीन ताल की स्टूडियो में रिकॉर्डिंग. बाबा ने कहा खुद को प्रस्तोता और ये सुनकर ताऊ के उड़ गए तोते.
-वैक्सीनेशन के 100 करोड़ आँकड़े पर तीन तालियों की राय और को ताऊ की बाहर निकलने वालों को सलाह.
-प्रियंका गाँधी की बात आते ही बाबा को याद आता है कौन सा गाना? उनकी राजनीति में शामिल आनन्द और कौतूहल के दृश्यों के बीच छीपी बुनियादी समस्या पर बात.
-जवानी के कम्युनिस्ट और बूढ़ापे के कम्युनिस्ट का फ़र्क़.
-तस्वीर खींचने और खिंचवाने के मोह और सनक पर बात. सबकुछ तस्वीरों में दर्ज कर लेने की चाहत अच्छी या बुरी?
-सेल्फी की साइकोलॉजी और समाजशास्त्र. ताऊ के साथ सेल्फी लेने के बाद जब एक अनजान आदमी ने उनसे उनका नाम पूछा तो ताऊ ने क्यों कहा डिलीट कर दे.
-ताऊ, बाबा और सरदार किन लोगों के साथ और किन जगहों पर तस्वीरें खिंचाने के लिए मरते हैं.
-बिज़ार ख़बर में पथरी का इलाज कराने आये मरीज़ की किडनी निकाल लेने वाले डॉक्टर का नाम सुन कर ताऊ को क्यों हनुमान याद आए और बाबा ने खुद को क्यों चुटपुटिया डॉक्टर कहा.
-समय और काल के किसी और छोर पर ताऊ, बाबा और सरदार होंगे तो किस वाहन से आयेंगे. सुनिए नेवता वाले श्रोता में मज़ेदार कल्पना और सबसे आख़िर में इनार झाँकने से लेकर कुँए में भांग घोलने का अर्थ.
प्रड्यूसर ~ शुभम तिवारी
साउंड मिक्सिंग ~ कपिल देव सिंह
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