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वकीलों की खुरपेंच, प्रेम की तेरहवीं और मृत्युभोज की मौज : तीन ताल सम्मेलन, Ep 100

वकीलों की खुरपेंच, प्रेम की तेरहवीं और मृत्युभोज की मौज : तीन ताल सम्मेलन, Ep 100

तीन ताल के 100वें एपिसोड / सम्मेलन में कमलेश 'ताऊ', पाणिनि ‘बाबा’ और कुलदीप ‘सरदार' से सुनिए:

- देश के कोने-कोने से आजतक रेडियो के आंगन में उतरे तीन तालियों की गरिमामय मौजूदगी में जब हुई रिकॉर्डिंग. आज के समय में तीन ताल, रेडियो और व्यंग्य क्यों जरूरी है? 

- वकीलों की ज़िंदगी से जुड़े मज़ेदार क़िस्से. वकालत में किस तरह का क्लास डिवाइड है और बाबा ने दिया सक्सेसफुल वकालत का नुस्ख़ा.

- कानून की भाषा इतनी उलझाऊ क्यों है? वकील का इकलौता काम क्या है, बाबा और ताऊ का कचहरी से कैसा रिश्ता रहा है?

 

- बिज़ार ख़बर में भइया बहादुर की बात जिन्होंने समोसा-चटनी के साथ कटोरी-चम्मच न मिलने पर सीएम हेल्पलाइन में शिकायत कर दी.

-पितृपक्ष में जब मनाया गया मृत्यु का उत्सव. क्यों बाबा ने कहा आपसे ज़्यादा आपके जीवन को पंडित जीते हैं? 

- श्मशान की शांति कहां चली गई? ताऊ ने क्यों शव को जल्दी जलाने की वकालत की. मृत्यु भोज होनी चाहिए या नहीं?

- और आख़िर में महफ़िल में मौजूद तीन तालियों के सवाल-जवाब और प्रेमपूर्ण उद्गार.

प्रड्यूसर ~ शुभम तिवारी
साउंड मिक्सिंग ~ नितिन रावत

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Listen and follow तीन ताल