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अखिलेश के हाथ की ‘सैफई’, अनूठे लाइटर और बारातों की दारूबंदी: तीन ताल, EP 85

अखिलेश के हाथ की ‘सैफई’, अनूठे लाइटर और बारातों की दारूबंदी: तीन ताल, EP 85

तीन ताल के 85वें एपिसोड में कमलेश 'ताऊ', पाणिनि ‘बाबा’ और कुलदीप ‘सरदार' से सुनिए:

- इंटरनेशनल बुकर प्राइज विनर 'रेत समाधि' को हिंदी में क्यों पढ़ें? अनुवाद के मामले में भारत क्यों पिछड़ा हुआ देश है?

- यूपी विधानसभा में अखिलेश की भाषा पर बात. योगी आदित्यनाथ के लिए उनका नया उद्बोधन और केशव प्रसाद मौर्य के लिए अपमानजनक बातें. बाबा ने क्यों कहा कि पिछड़ी जाति के नेताओं के बीच संवाद का सुख अगड़े उठा रहे होंगे?  

- ताऊ ने अखिलेश के यादवत्व की तुलना बाबा के ब्राह्मणत्व से क्यों की और व्यवहार से विप्र होने को बाबा ने कैसे जस्टिफाई किया?

- आग से इंसान ने क्या सीखा, भाषा का विकास कैसे आग के अराउंड हुआ, आग को खोजने से ज़्यादा अहम आग को साधना क्यों है, जंगलों में आग क्यों लगाए गए और सबसे कुरूप आग कौन सी है?

- बाबा ने इंसान को सबसे हल्की चमड़ी का जानवर क्यों कहा, ताऊ ने आग को नरक की चीज़ क्यों कहा और अलग अलग धर्मों में आग की क्या अहमियत है?

- बाज़ क़िस्म के लाइटर्स और उन्हें इकठ्ठा करने का शौक.

- आग पर शे'र-ओ-शायरी और एसिडिटी वाली कविता.

- बिज़ार ख़बर में गुजरात की शादी का ज़िक्र. जहाँ शादी के बाद दुल्हन के बिना ही विदा हुआ दूल्हा. शादियों में महंगी गाड़ियों से बारात और विदाई की परंपरा और रासायनिक पदार्थों के सेवन से पैदा हुए बवाल.

- क्या नाचने के लिए पीना ज़रूरी है? ताऊ की भाइयों के साथ जैमिंग का क़िस्सा और गुजरात का आज़ादी से समझौता. 

- और आख़िर में तीन तालियों की चिट्ठी और प्रतिक्रियाएं.

प्रड्यूसर - कुमार केशव
साउंड मिक्सिंग - अमृत रेजी

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