कहानियों का ये कारवां पहुंच चुका है अपने 100वें पड़ाव पर. इंसानी एहसास से झिलमिलाती ये कहानियां जिन में कभी आंसू हैं, कभी मुस्कुराहटें, कभी हंसी है। कभी किसी से दूर जाने का अफ़सोस है तो कभी-कभी किसे के पास आ जाने का डर... ये कहानियां हमारी-आपकी दुनिया की साझा कहानियां हैं। कहानियों को इतना प्यार देने के लिए, इतनी सारी चिट्ठियां भेजने के लिए, सपोर्ट करने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया।
- जमशेद क़मर सिद्दीक़ी
दुवाओं में याद रखिएगा।