लड़के वाले आ चुके थे। बगल वाले कमरे से उनकी बातचीत की आवाज़ सुनाई दे रही थी। मां ने मुझे उस दिन बैंगनी साड़ी पहनाई थी क्योंकि उन्हें लगता था कि उसमें मेरा रंग कम सांवला लगता है। कमरे में ले जाते हुए मम्मी ने मेरे कंधों को ऐसे थामा जैसे मैं हमेशा सहारे से चलती हूं। कमरे में दाखिल होती ही तमाम नज़रें मुझ पर घिर गयीं जैसे किसी बाज़ार में सामान पर गड़ जाती हैं। मेरे चेहरे को, मेरे रंग को नज़रें तौलने लगीं और फिर उनके चेहरे पर मैंने कुछ नाखुशी देखी। लड़के की मां ने कहा, "आप की छोटी बेटी कहां है?" - सुनिए स्टोरीबॉक्स में कहानी -सांवली से एक लड़की- जमशेद कमर सिद्दीक़ी से.