उनके सीज़र से इतना प्यार था कि अगर कोई दौड़ा-दौड़ा उनके घर आए और कहे कि फायर ब्रिगेड को फोन करना है तो भी वो पहले उसे अपने प्यारे कुत्ते का एल्बम दिखाएंगे उसके बाद ही फोन छूने देंगे। सुनिए मुश्ताक अहमद युसूफ़ी की किताब ज़रगुज़िश्त से एक मज़मून स्टोरीबॉक्स मे.
साउंड मिक्स - अमृत रज़्जी