ये सड़क जो कचहरी से होते हुए लॉ कॉलेज के आखिरी दरवाज़े तक जाती है मैं इस पर बीते नौ सालों से रोज़ाना दफ़्तर जाता हूं। इस सड़क ने क्या क्या देखा है, क्या क्या इसे याद है लेकिन ये चुप रहती है उन बुज़ुर्गों की तरह जिन्होंने दुनिया को बदलते हुए देखा है पर वो अपने तजुर्बों को लिए ख़ामोशी के साथ बुझती हुई आंखों से बदलते वक्त को देखते रहते हैं। - सुनिए स्टोरीबॉक्स में कहानी 'दो फर्लांग लंबी सड़क' में.