Operation Sindoor की पृष्ठभूमि 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम आतंकी हमले ने तैयार की, जिसकी आवाज़ दुनियाभर ने सुनी. इस हमले की ज़िम्मेदारी पहले The resistance front नाम के संगठन ने ली, लेकिन फिर मुकर गया. सोशल मीडिया पर TRF ने दावा किया कि उसके Digital Platform पर जो Message डाला गया, वो एक “Coordinated Cyber Intrusion” की वजह से हुआ. TRF के इस झूठ पर किसी को भरोसा नहीं क्योंकि ये कोई पहली बार नहीं है. बस नाम नया है. साल 2000 में हुआ अमरनाथ धाम हत्याकांड हो, 14 मई 2002 को जम्मू के कलूचक में करीब 78 लोगों का निशाना बनाया जाना, 2003 में कश्मीर के नदीमार्ग में 24 कश्मीरी पंडितों की हत्या, 2005 में दिवाली पर हुई दिल्ली bombings, 2006 में हुए वाराणसी में बम विस्फोट, 2006 में ही मुंबई के ट्रेन धमाके और पिछले साल रईसी में हुआ आतंकी हमला. दरअसल इन सभी हमलों के पीछे एक ही संगठन का हाथ है जो अक्सर नाम बदल बदल कर ऐसे आतंकी हमलों को अंजाम देता है. लश्कर-ए-तैयबा, जमात-उद-दावा, MDI और TRF. ये सब इसके ही नाम हैं. ये सारे नाम भारत में खूब सुने जाते रहे लेकिन किसी ने गहरे पैठकर ये नहीं बताया कि क्या हैं इसके असल मंसूबे, क्या हैं तरीके जिनकी वजह से ये कुख्यात हुए, हज़ार मुखौटों के पीछे छिपा कौन है? और इन्हीं पेचीदगियों का इलाज है आज का संदर्भ. तो उतरेंगे लश्कर ए तैयबा के ज़ेहन में और समझेंगे असलियत The Resistance Front की. MDI की. जमात उद दावा की. ये है आजतक रेडियो का एक्सप्लेनर पॉडकास्ट, ‘संदर्भ’. जहां हम कहते हैं ‘समझेंगे तो सुलझेगा’.