राष्ट्रवाद यानि नेशनलिज़्म पर दशकों से बहस चल रही है. सबके लिए इसके मायने अलग हैं. दौर के हिसाब से भी और देश के हिसाब से भी. पढ़ाकू नितिन की बैठकी में इस बार नितिन ठाकुर के साथ प्रियदर्शन शामिल हैं. कई किताबों के लेखक और पॉलिटिकल-सोशल- कल्चरल मसलों पर लिखनेवाले प्रियदर्शन ने जवाब दिया कि राष्ट्रवाद क्या है, कितनी तरह का है, भारत का राष्ट्रवाद पश्चिम से अलग कैसे, इसका फायदा-नुकसान क्या और इसकी नियति क्या होगी?
इस पॉडकास्ट में सुनिए -
- राष्ट्र और देश में क्या फर्क है
- राष्ट्र और राष्ट्रवाद पैदा कैसे हुए
- भारत और पश्चिम का राष्ट्रवाद अलग कैसे
- तिलक और गांधी के राष्ट्रवाद का फर्क
- राष्ट्रवाद अच्छी चीज़ है या बुरी?
- क्या कभी राष्ट्र खत्म हो सकेंगे
- भारत को कैसे राष्ट्रवाद की ज़रूरत है
- राष्ट्रवादियों का आर्थिक मॉडल कैसा है
- क्या दोहरी नागरिकता राष्ट्रवाद के लिए खतरा
- इंटरनेट ने राष्ट्रवाद को कमज़ोर किया या मज़बूत
Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी हैं. आज तक रेडियो इसका अनुमोदन नहीं करता.