चीन आज वहाँ से बहुत आगे निकल आया है जहां कभी भारत के पीछे खड़ा था. इकोनॉमी की रेस में वो दुनिया का दूसरा बड़ा देश बन गया है लेकिन हमारी रफ़्तार पहले से धीमी है. आज के पढ़ाकू नितिन में जानेंगे कि उसने ये रास्ता कैसे तय किया, किसने उसका आर्थिक रूप इतना बदला कि वो वामपंथी नाम का रह गया और क्यों चीन घूम-घूमकर दुनिया भर में सड़कें और पुल बना रहा है. भारत के सामने सवाल भी है कि चीन के बढ़ते ख़तरे के सामने वो रूस के पाले में जाए या अमेरिका से हाथ मिलाए? इन्हीं दिलचस्प सवालों-जवाबों की बैठकी में नितिन ठाकुर के साथ हैं अवॉर्ड विनिंग टीवी प्रोड्यूसर इक़बाल चंद मल्होत्रा जिन्होंने चीन-तिब्बत का दौरा किया और उसके इतिहास पर Red Fear नाम की किताब भी लिखी. उनके साथ मनोज केवलरमानी हैं जिन्होंने चीन में पत्रकारिता की है. आजकल बैंगलोर के तक्षशिला इंस्टीट्यूशन में चाइना स्टडीज़ पढ़ा रहे हैं. साथ ही smokeless war नाम की किताब भी लिखी है.
इस बातचीत में सुनिए:
- किसने बदला था चीन की इकोनॉमी का रंगरूप?
- 1990 के बाद कैसे भारत से आगे निकलता गया चीन?
- दुनिया की सबसे बड़ी मंदी में चीन ने ख़ुद को कैसे सँभाला?
- चीन आधी दुनिया में क्यों सड़कें और पुल बना रहा है?
- अफ़ग़ानिस्तान में ज़िनपिंग की दिलचस्पी का राज़ जानिए
- चीन किस इकोनॉमिक-पॉलिटिकल मॉडल को चला रहा है?
- दुश्मनी के बावजूद हम क्यों चीन संग बिज़नेस को मजबूर?
- चीन और रूस में कौन बड़ा भाई है और कौन छोटा?
- ज़िनपिंग को रोकने के लिए भारत क्या करे?
-कोरोना का चीन को फ़ायदा हुआ या नुक़सान?
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