कश्मीर का ज़िक्र हमेशा शेख अब्दुल्ला के बिना अधूरा है. नेशनल कॉन्फ़्रेंस के इस नेता ने विद्रोही, शासक, कैदी हर रोल में छाप छोड़ी.
जिन्ना से शेख का हमेशा झगड़ा रहा क्योंकि वो इस्लाम के नाम पर राजनीति नहीं करना चाहते थे, विभाजन होते ही क़बायली वेश में पाकिस्तानी आर्मी घाटी में घुस आई तो शेख के वर्कर्स ही लाठी लेकर लड़ने उतरे, राजशाही से जूझते शेख ने हमेशा लोकतंत्र की पैरवी की मगर क्या हुआ जो वो आज़ाद भारत में जेल भेजे गए। क्या हुआ कि नेहरू से उनकी दूरी बढ़ गई। क्या हुआ कि वो अलगाववादी कहलाए गए, सुनिए पढ़ाकू नितिन में प्रो चित्रलेखा ज़ुत्शी से जिन्होंने शेख और कश्मीर पर कई किताबें लिखी हैं.
इंडियन इस्लाम, गांधी और अल्लाह नाम की सियासत: पढ़ाकू नितिन, Ep 141
रामसेतु पर चलकर श्रीलंका आते-जाते थे लोग?: पढ़ाकू नितिन, Ep 138