किताबें तो करोड़ों हैं लेकिन पढ़ने के लिए चुनी कौन सी जाए? कब कौन सी पढ़नी चाहिए? ढेर में अपने लिए कौन सी बेस्ट रहेगी? किताबों के रसिया लोग इन सवालों से भले न जूझते हों मगर बहुतों के मन में ऊहापोह बनी रहती है. फिर वो जहां-तहां सजेशन और रिकमेंडेशन खोजते हैं. आज के पढ़ाकू नितिन की बैठकी में लेखक, घुमक्कड़, कलाकार, पढ़ाकू जे सुशील अमेरिका से जुड़े हैं. फिलहाल तो साहित्य में पीएचडी भी कर रहे हैं. नितिन ठाकुर के साथ जमी इस बैठकी में उन्होंने देसी से लेकर विदेशी किताबों पर जो रंग जमाया है वो सुनकर आनंद लीजिए.
Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी हैं. आज तक रेडियो इसका अनुमोदन नहीं करता
इंडियन इस्लाम, गांधी और अल्लाह नाम की सियासत: पढ़ाकू नितिन, Ep 141
रामसेतु पर चलकर श्रीलंका आते-जाते थे लोग?: पढ़ाकू नितिन, Ep 138