नेहरू के सामने एक देश को अकाल, विभाजन और सांप्रदायिक आग के बीच से निकालने की चुनौती थी। वो जानते थे कि ये काम बिना दूसरे देशों की मदद के नहीं होगा। उन्होंने IFS की स्थापना की मगर उसके पहले नेहरू ने खुद उन लोगों को चुना जो भारत की तरफ से विदेशों में उसके प्रतिनिधि बने। इनमें कमाल के लोग शामिल थे। उन्हीं पर एक किताब आई Nehru’s First Recruits. कल्लोल भट्टाचार्जी ने लिखी है। पढ़ाकू नितिन में उनसे ही सुनेंगे डिप्लोमेसी की दुनिया से निकले दिलचस्प किस्से।
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