आम की हर बात ख़ास होती है. आम सिर्फ़ एक फल नहीं, फलों का राजा होता है, आम इमोशन होता है, आम से रिश्ते बनते हैं, इनफ़ैक्ट सबसे अच्छा मौसम ही वो है जिसमें पेड़ों पर आम लगते हैं.... और हां! कोई आम ख़राब नहीं होता. आम के पेड़ों के इर्द-गिर्द समाज फलता है. बहसें होती हैं, झगड़ें होते हैं.आम रिश्वत भी है तो आम व्यवहार बनाने का ज़रिया भी है. आम को कोई मना नहीं करता और उस्तादों ने कहा है कि आम को सिर्फ़ गदहे ही नहीं खाते. आम की खुशबू ने कई गांवों की महक दुनिया तक पहुंचाई है और उसे ही एक पॉडकास्टनुमा शीशी में कैद कर आज हम आपके सामने हाज़िर हुए हैं, हमने बात कि लेखक सोपान जोशी से जिन्होंने एक पूरी फिर भी अधूरी किताब Mangifera Indica: A Biography of the Mango लिखी है, अधूरी इसलिए क्योंकि दुनिया में हज़ारों किस्म के आम हैं, बावजूद इसके हमने बहुत कुछ समेटने की कोशिश की है और उनसे पूछा है कि आखिर लोग आम को इतना पसंद क्यों करते हैं, बारिश के पहले या बाद में आम खाना चाहिए, इसके नाम कैसे पड़ते हैं, दक्षिण भारत के आम उत्तर के आमों से अलग कैसे हैं, सॉफ़्टड्रिंक्स किस आम से बनाए जाते हैं और मुगल और अंग्रोज़ों ने आमों के साथ क्या किया,अंत तक सुनिए, इस रसदार पॉडकास्ट में आमों पर हुई बेमौसम मगर मज़ेदार बातचीत को अंत तक सुनिएगा, मज़ा आएगा.
Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं