वर्दी पहनना आसान है, लेकिन उसे गरिमा से जीना एक कला है. और सुरेन्दर गुलिया जैसे अफ़सर उस कला के असली उस्ताद हैं. हरियाणा के एक छोटे से गांव से निकलकर दिल्ली पुलिस के ऊंचे पदों तक का सफर तय करने वाले सुरेन्दर गुलिया की कहानी सिर्फ एक अफ़सर की नहीं, एक सच्चे लीडर की है. 1986 में पुलिस सेवा में शामिल होने के बाद उन्होंने क्राइम ब्रांच की Anti Human Trafficking Unit के प्रमुख रहते हुए 3500 से ज़्यादा केस सुलझाए, 100 लोगों की टीम को लीड किया और 4 करोड़ की फिरौती की रिकवरी करवाई. इस एपिसोड में पूर्व एसीपी सुरेन्दर गुलिया ने क्राइम जर्नलिस्ट अरविंद ओझा को बताया कि जेएनयू के नजीब अहमद केस में क्या हुआ और मानव तस्करी के दुनिया कितनी काली है?
Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
प्रड्यूसर : अंकित द्विवेदी
साउंड मिक्सिंग : रोहन भारती