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शानदार वॉर फ़िल्में, सिनेमा टाकीज़ के क़िस्से और लिंग दोष का फ़र्ज़ी नैरेटिव : तीन ताल, Ep 73

शानदार वॉर फ़िल्में, सिनेमा टाकीज़ के क़िस्से और लिंग दोष का फ़र्ज़ी नैरेटिव : तीन ताल, Ep 73

तीन ताल के 73वें एपिसोड में कमलेश 'ताऊ', पाणिनि ‘बाबा’ और कुलदीप ‘सरदार' से सुनिए:

- ताऊ ने क्यों बाबा और सरदार को विजयी भवः का आशीर्वाद दिया. तीन ताल ने ताऊ को कैसे अनुशासित किया? तीन ताल में चौथा कौन है?

- बाबा ने क्यों की रूस की तरफदारी. रूस-यूक्रेन युद्ध में ताऊ को क्या समझ नहीं आ रहा?

-रूस की मजबूरी और यूक्रेन के सविनय अवज्ञा आंदोलन का विश्लेषण. यूरोप और पुतिन को किस ग़लती का है इंतज़ार. नेटो क्यों नहीं कुछ रचनात्मक कर पाया.

-वर्ल्ड सिनेमा की कुछ बेहतरीन वॉर मूवीज़ और उनके दृश्यों पर बतरस. वॉर फिल्मों की निष्पक्षता, उनमें छिपे तत्वों का अवलोकन. 

-क्यों बाबा को किसी फ़िल्म पर यक़ीन नहीं? युद्ध को ग्लोरिफाई करने के नुकसान क्या हैं? ताऊ, बाबा और सरदार की कुछ पसंदीदा वॉर मूवीज.

-बिज़ार ख़बर में सड़क हादसे में मरने के बावज़ूद गांव में चाय की चुस्की ले रहे फुलेश्वर की बात. देवरिया के ब्राह्मणों और चाय के सुकून पर चर्चा.

-और आख़िर में तीन तालियों की चिट्ठियों और प्रतिक्रियाओं के बहाने 'लिंग' में छिपे दोष और सिनेमाघरों की कहानी.

प्रड्यूसर ~ शुभम तिवारी
साउंड मिक्सिंग ~ अमृत रेगी

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