- होली के जोगीरे और ताऊ की कविता
- 'मोमिनों रोज़े रखो' जैसे आधुनिक त्योहारी गीत
- होली की बदमाशी, आलस और मता जाने की क्रिया
- लउआ अलंकार, होली की थकान और बेहोशी
- बजुर्गों की विसडम और सिखावन
- लठ मार लॉजिक और फ्री का फ़लसफा
- 'जाने दो' की उदारता
- लोक का विसडम और आंखों की शर्म
- मर्डर कूपन का सही इस्तेमाल करने 'इस्तेमाल' हो जाने की कल्पना
- खां चा के अतरंगी खयाल और जेन ज़ी जोगीरे
- चिट्ठियां
प्रड्यूसर : अतुल तिवारी
साउंड मिक्स : सूरज
तैमूर लंग्स का ब्रेकिंग-ब्रेड, खदेरन कट और सस्ताPUN : तीन ताल S2 111
इलाहाबाद के बमबाज़, पिनकहा चाचा और करेजऊ का करेज : तीन ताल S2 110
जीवन की क्षणभंगुरता, बा-वफ़ा सोनम और खट्टरपंथी विचार : तीन ताल S2 108
खीरे की बलि, टमाटर का प्रतिरोध और चुकंदर की चूक : तीन ताल S2 107