तीन ताल के इस एपिसोड में कमलेश ‘ताऊ’, पाणिनि ‘बाबा’ और कुलदीप ‘सरदार’ से सुनिए:
- हर तरफ मातम पसरा है, पर इसी माहौल में तीन ताल और इसके जैसी बतकही की ज़रूरत क्यों है? क्या फ़ियर को ह्यूमर काटता है?
- कोरोना के ग़मगीन माहौल में क्या आईपीएल टूर्नामेंट को रोक देना चाहिए? फिर उनका क्या होगा जो दफ़्तर की थकान और उदासी भरी ख़बरों के बीच क्रिकेट में कुछ पलों की राहत खोजते हैं? क्या कोई बीच का रास्ता हो सकता था कि आईपीएल भी जारी रहता और वो अश्लील भी न लगता?
- ‘साड्डा जीवन, उच्च बिज़ार’ में बात उन 52 लोगों की जो आसमान में कोरोना पॉज़िटिव हो गए.
- दो-चार बातें, वैक्सिनेशन प्रोग्राम पर. सरकार को क्यों कम से कम कोवैक्सिन का फॉर्मूला पेटेंट फ्री कर देना चाहिए?
- दुनिया भर से मदद के जो हाथ बढ़े हैं, उसके पीछे प्रधानमंत्री की कामयाब डिप्लोमेसी है या ग्लोबल विलेज का सहज नेचर?
- और क्या अंतरराष्ट्रीय मीडिया कवरेज में पश्चिमी देशों का भारत के लिए दुराग्रह भी दिखता है? क्या कुछ देश इस बात से ख़ुश हैं कि भारत आज फिर याचक की भूमिका में आ गया है.
- उन मुनाफ़िकों की चर्चा जो मुनाफाखोरी से बाज़ नहीं आ रहे. इन बेईमानों के पकौड़े कब तले जाएंगे?
- हरियाणा सरकार को मरने वालों का सही डेटा जुटाने से अधिक, बंदरों की गिनती करने की क्यों पड़ी है?
- न्योता वाले श्रोता में हमारे लिसनर सनी कुमार की फ़रमाइश पर बिहार के छपरा शहर पर बात.
- और आख़िर में दो फिल्मों और एक वेब सीरीज़ का रिकमेंडेशन, जो इस हफ्ते आप देख सकते हैं.
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भोपाल की वटबाज़ी, मांगलिक मस्क और मच्छरों की झूमा-झटकी : तीन ताल S2 E96