scorecardresearch
 
Advertisement
युद्ध में RWA की मध्यस्तता, दोपहर का षड्यंत्र और नाककटिया न्याय-मंच : तीन ताल S2 104

युद्ध में RWA की मध्यस्तता, दोपहर का षड्यंत्र और नाककटिया न्याय-मंच : तीन ताल S2 104

- भारत-पाक का एतिहासिक युद्ध और संघर्ष-विराम 

- अंतरराष्ट्रीय मीडिया में युद्ध की एकतरफ़ा रिपोर्टिंग 

- पाकिस्तानी मीडिया का प्रोपेगैंडा और ब्रह्मोस की ताक़त 

- ताऊ की बरेली-यात्रा में युद्ध-दर्शन  

- मलयाली बंधुओं की चर्चा के बहाने संघर्ष-विराम के सूत्र

- कश्मीरियों का रिस्क और कवियों की काम-खराबी 

- क़तर, तुर्की और अमेरिका का नव-दोगलापन  

- दोपहर में स्त्रियां और उनके सामान की पुरानी गंध 

-  सुबकती, सिलती और सुलगती एक विराम जैसी दोपहर 

- बहुओं की बेडौल दोपहर और स्त्री का अंतराल

- बेरोजगार लड़कों की दोपहरें! चुप्पी, चाय और चिढ़चिढ़ा रोमांटिसिज़्म

- छोटे बच्चों की दोपहर और दोपहर के खेल 

- बूढ़ों और अधेड़ों की दोपहर!

- दोपहर क्यों काटी जाती है? दोपहर का षड्यंत्र क्या है? 

- नौकरी करने वालों को दोपहर का कुछ भी पता नहीं होता?

- जेठ की दुपहरी का खेल और नारीकेलम, 

- बिज़ार :  नाकखाऊ प्रेमी और The Nostril Nostalgia

- अंत में चिट्ठियां 

प्रड्यूसर : अतुल तिवारी 

साउंड मिक्स : रोहन 

Advertisement
Listen and follow तीन ताल