
तीन ताल के 81वें एपिसोड में कमलेश 'ताऊ', पाणिनि ‘बाबा’ और कुलदीप ‘सरदार' से सुनिए:
- प्रशांत किशोर और इलोन मस्क की चाहतों का अंतर. पीके की तपस्या में क्या कमी रह गई?
- कॉंग्रेस के पास स्टोरी का अभाव या स्टोरीटेलिंग का? बाबा ने क्यों कॉंग्रेस को दूब कहा.
-लॉजिक और इमोशन में कौन सर्वोपरि. क्या आम खाना हराम है?
-भूलने और याद रखने के नफ़े-नुकसान. क्या भूलने और याद करने को नियोजित किया जा सकता है?
-बाबा, ताऊ और सरदार कौन सी चीज़ अक़्सर भूल जाते हैं? ताऊ ने जब एक साधक को बीयर पिलाया. जब सरदार ने सुनी जीवन की पहली गाली. विभाजन को भूले या याद रखें?
-बिज़ार ख़बर में उस रेस्तराँ की बात जहां समोसा टॉयलेट में बन रहा था. समोसे कहाँ के अच्छे? समोसा बांधने और खाने की कला.
-ताऊ क्यों महीने में एक बार अनहाइजेनिक खाना खाते हैं? गोलगप्पे का मज़ा बाहर ही खाने में क्यों. पश्चिम की 'कैन' बीमारी.
-‘वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे’ के बहाने कपड़े प्रेस करने के कुछ टिप्स. ताऊ को क्यों प्रेस का ज़िक्र सुन याद आएं अज़ीज़ मियां.
-और आख़िर में तीन तालियों की चिट्ठियाँ और प्रतिक्रियाएं.
प्रड्यूसर - शुभम तिवारी
साउंड मिक्सिंग - अमृत रजी

प्रदूषण का 'प्र' पलायन का लॉयन और रेलवे की थाली : तीन ताल, S2 129

गॉसिप से क्रांति, फार्ट ऑफ लिविंग और कटियाबाज़ी का सुख : तीन ताल, S2 128