ताऊ इस हफ्ते अपने दड़बे से देवघर निकल लिए और 1400 किलोमीटर के रास्ते में उन्हें याद रही एक तस्वीर. उस तस्वीर से शुरू हुआ है इस बार का तीन ताल और उसके बाद है:
1. ‘तांडव’ और ‘मैडम चीफ मिनिस्टर’ की बात करते हुए पॉलिटिकल सेटअप दिखाने में भारतीय सिनेमा कमज़ोर क्यों नज़र आता है? क्यों बॉलीवुड के प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री कभी रियल नहीं लगते? समस्या कहां है?
2. और दो अलग अलग दौर में प्राइवेसी के उसूलों की तुलना. डिजिटल क्रांति से पहले क्या इंडियन सोसाइटी में प्राइवेसी का विचार कमज़ोर रहा है?
3. और बिज़ार स्टोरी में उस पत्नी की बात जो पति को कुत्ते की ज़ंजीर पहनाकर टहला रही थी, एक सज़ा से बचने के लिए.
सुनिए तीन ताल, कमलेश ‘ताऊ’, पाणिनि ‘बाबा’ और कुलदीप ‘सरदार’ के साथ. हर सोमवार, आज तक रेडियो पर
जिनका संदर्भ इस बातचीत में आया
1. ताऊ की 1400 किलोमीटर की यात्रा का हासिल, ये तस्वीर
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