तीन ताल के 43वें एपिसोड में कमलेश 'ताऊ', पाणिनि ‘बाबा’ और कुलदीप ‘सरदार' से सुनिए :
-बाबा की लखनऊ यात्रा और पंचायत आजतक का सारतत्व. सोशल मीडिया पर डाले गए नीलकमल की तस्वीर में छिपा सन्देश.
-लोक और शास्त्रीय गायक कैसे बताशे और गट्टे का इस्तेमाल करते थे?
-ओलम्पिक के टेकअवेज. बाबा ओलम्पिक में किस पदक के जीतने पर प्रेम में विभोर हैं और क्यों सरकारों का पारितोषिक दुखांत लिए हुए है.
-ओलम्पिक के अच्छी तस्वीरों में नत्थी कुरूपता, भ्रष्टाचार, फर्ज़ीवाड़ा और नौकरशाही का दबाव.
-क्रिकेट को गरियाये बिना क्या दूसरे खेलों का उत्थान हो सकता है? क्यों क्रिकेट की ही तरह हॉकी और दूसरे खेलों का उभार और बाजार न हो सका?
-क्या जेनेटिक्स भी प्रदेश और देश का खेलों को प्रभावित करता है? ताऊ ने किस बात पर कहा कि स्वेटर सबको बुनना चाहिये जबकि बाबा ने कहा कि इसने बहुतों को बिगाड़ा है.
-ओलम्पिक के चुनिन्दा दृश्यों पर बात. खेल में प्रोटेस्ट दर्ज कराना कितना सही. बाबा और ताऊ के अलहदा विचार.
-बात ट्रेन के रोमांच और मुश्किलात की. ट्रेन के कुरूप और सुन्दर दृश्यों की कहानी. ताऊ और बाबा की शुरुआती ट्रेन यात्राएँ और खुराफ़ात.
-क्यों ट्रेन की यात्रा को बाबा और ताऊ ने सर्वोत्तम कहा? वे चीज़ें जो सिर्फ रेलवे स्टेशनों पर ही मिलती थीं.
-ट्रेन के टीटीयों से बाबा की अगाध मित्रता और मजिस्ट्रेट चेकिंग के प्रसंग और ट्रेन यात्राओं में मिलने वाले ज्ञानी, अज्ञानी, औंचक और भौंचक किस्म के लोग.
-लैपटॉप और मोबाइल ने कैसे ट्रेन की संस्कृति बिगाड़ दी है. कहाँ लुप्त हो गए ट्रेन से पंखा और बल्ब चुराने वाले. और सरदार को अपनी शुरुआती ट्रेन यात्रा से मिला सबक - गाड़ी चलेगी तो हवा लगेगी.
-बिज़ार ख़बर में एक मीम बनाकर रातों रात लखपति हुए हुए पाकिस्तान के दो दोस्तों की कहानी और रिश्ते में अगर दरार आये तो उसे भी क्यों सबको बताना चाहिये.
-और आख़िर में तीन ताल के लिए भोपाल से आई पहली हस्तलिखित चिट्ठी जिसे बाबा ने प्रेमपत्र का नाम दिया.
प्रड्यूसर: शुभम तिवारी
साउंड मिक्सिंग: सचिन द्विवेदी
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