तीन ताल सीज़न 2 के 22वें एपिसोड में कमलेश 'ताऊ', आसिफ़ खां 'चा' और कुलदीप 'सरदार' के साथ सुनिए:
- इज़राइल-फ़िलिस्तीन मसला: डोर को सुलझा रहा है और सिरा मिलता नहीं
- ट्रेजेडी में ह्यूमर का स्कोप
- 'वॉर क्राइम' नहीं, वॉर ही क्राइम है
- वॉर क्यों होते रहना चाहिए और मल्टीपोलर वर्ल्ड के नुक़सान
- आम आदमी का झूठ, झूठ बोलने की स्किल और अभिनय की कुशलता
- ताऊ झूठ बोलने में क्यों कच्चे हैं
- झूठ का चेहरा और प्रिंटिंग प्रेस वालों की फर्रा-पर्ची
- धूम्रदंडिका के लिए खां चा ने किस क़दर पैसे जुटाए
- घर में झूठ बोलना क्यों ज़रूरी है?
- एक ही सत्य: सबसे बड़ा झूठ है!
- पोस्ट ट्रुथ का ज़माना और सबके अपने अपने सच
- सच हगना और ख़ुद से बोले गए झूठ
- झूठ से कैसे मिलती है ताक़त
- दुनिया सत्य पर नहीं, झूठ पर टिकी है
- व्यापार और धर्मों का झूठ
- सच-झूठ से इतर सिर्फ बोलने की हिम्मत
- 'मुतमईन' कितने लोगों को करेंगे
- पिताजी के साथ ताऊ की शॉपिंग के क़िस्से
- खां चा के खर्चालू बापू और एक करोड़ की शर्त
- बिज़ारोत्तेजक ख़बर में कॉफी हाउस कंपनी के एक्स एम्प्लॉई का बदला
- महंगी कॉफी वाले दुनिया को कैसे लूट रहे हैं
-Starbucks में जाने वाले लोग मजबूर हैं या...
- इस्तीफ़ा जेब में रखने वाले लोग और हम सब दिहाड़ी मजदूर
- नौकरी में अनिश्चितता और डर क्यों बना रहना चाहिए
- खाकर बिल न चुकाने वाले लोग
- लुधियाना सेल का मज़ेदार क़िस्सा, दुनिया का सबसे बेवक़ूफ़ दुकानदार और दो उँगलियों की सफाई
- आख़िर में प्रिय तीन तालियों के पत्र
प्रड्यूसर: कुमार केशव
साउंड मिक्सिंग: कपिलदेव सिंह
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