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पादने की आज़ादी और बंगाली भद्रलोक के भरम: तीन ताल Ep27

पादने की आज़ादी और बंगाली भद्रलोक के भरम: तीन ताल Ep27

तीन ताल के इस एपिसोड में कमलेश ताऊ, पाणिनि बाबा और कुलदीप सरदार से सुनिए:

- भ्रम पैदा करने वाले इस मौसम में ‘ठंडी’ कही जाने वाली चीज़ों पर भरोसा क्यों न करें. क्या खाएं और क्या पिएं.
- कोरोना के दौर में श्मशान-कब्रिस्तान से आ रही तस्वीरों ने क्या पोल-पट्टी खोल दी है?
-  ‘साड्डा जीवन, उच्च बिज़ार’ में अजब-ग़ज़ब ख़बर: क्या वो सरफिरा था जिसने बारिश न होने से नाराज़ होकर ईश्वर की मूर्तियां तोड़ दीं?
- पश्चिम बंगाल में चौथे चरण के बाद राहुल गांधी की एंट्री हुई. उनकी पहली रैली के तौर पर. कांग्रेस का गेमप्लान आख़िर क्या है? क्या कांग्रेस टीएमसी की हार का कारण बनने के अपयश से बचना चाहती है?
- पश्चिम बंगाल के भद्रलोक और उसकी समस्याओं पर बात. क्या वहां का ‘कलाप्रेमी’ समाज एक मिथ है? क्या वहां की सोसाइटी और राजनीतिक हिंसा के इतिहास में कोई विरोधाभास है?
- एक और अजब-ग़ज़ब 'बिज़ारोत्तेजक' ख़बर. एक व्यक्ति पर जुर्माना लगाया गया क्योंकि उसने पुलिस वालों के सामने पवन मुक्त कर दी थी. पाद को शालीन क्यों नहीं माना जाता? बचपन के किस्से, मुहावरे और पाद का संपूर्ण वांग्मय. 
- राम नवमी से पहले राम पर बात. राम कौन हैं, क्या हैं? क्यों मर्यादा पुरुषोत्तम हैं? भारतीय समाज में वो इमाम-ए-हिंद हैं, विचार हैं या कोई सपना हैं? राम नाम जपने की सोशियोलॉजी. अपने अपने राम और अपनी अपनी व्याख्याएं. और सीता की अग्निपरीक्षा का मतलब. 

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