"बेगम अपने मिट्ठू बेटे को दिन रात सबक रटाया करती थीं लेकिन वो ज़हन से कुछ गधे मालूम होते थे, कुछ न सीख सके। बल्कि सुनते-सुनते मुझे याद हो गया। एक रात बिल्ली ने पिंजड़े को गिराया और मिट्टू मियां को मुंह में दबा लिया। वो चीखे तो मैं और बेगम डंडा लेकर भागे। बिल्ली ने उन्हें छोड़ तो दिया पर लगा कि आज मिट्ठू मियां गए काम से लेकिन तभी क्या देखते हैं कि मिट्टू पंख झाड़कर खड़े हो गए।" सुनिए शौकत थानवी की लिखी मज़ेदार कहानी - मिट्ठू बेटे 'स्टोरीबॉक्स' में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से