मैं जब उनके घर में फ्रिज रिपेयर करने पहुंचा तो मैंने देखा कि वो बुज़ुर्ग और उनकी पत्नी बड़े से पीली रौशनी वाले घर में अकेले थे। उनके पास बातचीत करने के लिए कुछ नहीं था। शायद उन्हें जो कुछ एक दूसरे से कहना था वो अपने 35 साल के रिश्ते में सब कह चुके थे। जब बुज़ुर्ग चाय बनाने लगे तो मैंने कहा, "क्या आप दोनों इस घर में अकेले ही रहते हैं" बुज़ुर्ग ने मेरी तरफ देखा। मुस्कुराए और बोले, "दो लोग अकेले नहीं होते, अकेले तो एक होता है" - सुनिए पूरी कहानी 'अदरक वाली चाय' स्टोरीबॉक्स में - जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से.