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आपने इस मज़दूर कवि की कविताएं सुनी हैं?

आपने इस मज़दूर कवि की कविताएं सुनी हैं?

ईरान के करमानशाह में 1986 में जन्मे सबीर हाका अब तेहरान में रहते हैं. उनके दो कविता-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं. खा़स बात ये है कि सबीर हका एक मज़दूर हैं और कविताएं लिखने का शौक़ रखते हैं. मज़दूरों की दशा पर लिखीं गईं उनकी कविताएं तड़ित-प्रहार की तरह हैं. सुनिए उनकी एक बेहद चर्चित कविता 'शहतूत की तरह होते हैं मज़दूर' कुलदीप मिश्र की आवाज़ में

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