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वो बातें जो जस्टिस अरुण मिश्रा को बाक़ी जजों से अलग करती हैं

वो बातें जो जस्टिस अरुण मिश्रा को बाक़ी जजों से अलग करती हैं

ऐसा कम ही देखने को मिलता है कि कोई हाई कोर्ट या फिर सुप्रीम कोर्ट के जज रिटायर्ड हों और उनके रिटायरमेंट के चर्चे हों. लेकिन सुप्रीम कोर्ट से  जस्टिस अरुण मिश्रा के रिटायर होने की ख़बर को अच्छा ख़ासा कवरेज मिला. प्रशांत भूषण के कंटेप्ट ऑफ़ कोर्ट केस पर फैसला जिस बेंच ने सुनाया उसकी अध्यक्षता जस्टिस अरुण कुमार मिश्रा कर रहे थे. अरुण मिश्रा, सीधे तौर पर तो नहीं लेकिन तब भी चर्चा में थे जब साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कोर्ट में चल रही व्यवस्था की आलोचना की थी. जस्टिस लोया केस हो या फिर पीएम मोदी की तारीफ़ का मामला और इसके बाद उठा विवाद, अरुण मिश्रा सुर्ख़ियों में रहे. लेकिन गौर करने वाली बात यह भी है कि अपने पूरे कार्यकाल में अरुण मिश्रा ने करीब 1 लाख मामलों का निपटारा किया. इस पॉड ख़ास में हम सुनेंगे जस्टिस अरुण मिश्रा के कुछ मशहूर जजमेंट के बारे में.

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