'हम देखेंगे.' फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की ये नज़्म सीएए विरोधी प्रदर्शनों के बीच काफ़ी चर्चित हुई है. हाल के दिनों में कुछ विवाद भी इससे जुड़े जब कुछ लोगों ने इसे इस्लामी गीत क़रार देने की कोशिश की.
लेकिन 'हम देखेंगे' अपने मूल में एक इंक़लाबी आह्वान था और लोगों ने कई भाषाओं में इसे गाकर इसके मूल भाव को और मज़बूती से पेश किया.
इससे पहले 'हम देखेंगे' का भोजपुरी वर्ज़न काफ़ी पॉपुलर हुआ था. अब अवधी और उर्दू भाषा के कवि अन्नू रिज़वी ने 'हम देखेंगे' को अवधी में लिखा और गाया है. सुनें.