दोहा में अरब और इस्लामिक देशों का बड़ा सम्मेलन हुआ. इसी दौरान मिस्र ने फिर से "Arab NATO" का प्रस्ताव रखा यानि 22 अरब देशों की संयुक्त सेना! लेकिन क्या ये मुमकिन है, जब इतिहास गवाह है कि यही देश आपस में लड़ते रहे हैं? इज़रायल ने क़तर पर हमला कर दिया क़तर जो अमेरिका का बड़ा सहयोगी है. अब सवाल ये है कि क़तर अपनी सुरक्षा के लिए कब तक अमेरिका पर निर्भर रहेगा? क्या वो चीन का साथ लेगा? और क्या अरब NATO कभी हक़ीक़त बन पाएगा, प्रो. मोहसिन रज़ा के साथ 'पढ़ाकू नितिन' में हुई इस बातचीत को सुनिए.