विनायक दामोदर सावरकर के दो रूप देखे जाते हैं. एक वो सावरकर जिन्होंने 1857 के विद्रोह को भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम कहा, जिन्होंने महारानी विक्टोरिया की मौत पर नासिक में आयोजित शोक सभा का विरोध किया था. यहां तक कि वे ब्रिटिश विरोधी गतिविधियों के तहत अंग्रेज़ अधिकारियों की हत्या, साज़िश में शामिल हुए और कालापानी की सज़ा भी काटी. लेकिन इसके उलट एक सावरकर वो भी थे जो जेल की सज़ा के बाद दिखलाई पड़ते हैं. सावरकर से जुड़े क़िस्से सुनिए, आज तक रेडियो के इस पॉडकास्ट में अंजुम शर्मा के साथ.
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