अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल के उत्तर में एक घाटी है. पंजशीर नाम की इस घाटी में डेढ़ से दो लाख लोग रहते हैं. लेकिन इस घाटी का इतिहास अफगानिस्तान से जुदा है. अस्सी के दशक में सोवियत यूनियन हो जो अब रूस है या नब्बे में तालिबान – पंजशीर कब्जों से आजाद रहा. देश की राजधानी सोवियत यूनियन की मार सह रही थी. सोवियत सेना अफ़ग़ानिस्तान के लोगों पर ज़ुल्म ढा रही थी लेकिन ये घाटी बगावत का बिगुल बजाए हुए थे. इस बगावत के पीछे एक शख्स था. एक नेता जो आज भी अफगानिस्तान में तालिबानी कब्जे के बीच लग रहे आजादी के नारों का कारण है. इस शख्स का नाम था अहमद शाह मसूद.वही मसूद जिन्होंने नौ बार रुसियों को पंजशीर से भगाया. सुनिए 'नामी गिरामी' में उनकी पूरी कहानी.
प्रोड्यूसर - रोहित अनिल त्रिपाठी
साउंड मिक्स - नितिन रावत
Princess Diana को हनीमून पर ही मिला बेवफाई का सबूत?: नामी गिरामी, Ep 301