लाल कपड़े पहने हुए करीब 15,000 कम्यूनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ता, सत्यजीत रे, भीष्म साहनी, वीपी सिंह समेत देशभर से आए हुए कलाकार. सब एक ही शख्स से जनाज़े में शामिल होने के लिए आए थे. लाल कपड़े में लिपटा हुआ वो शख्स जिसका नाम सफ़दर हाशमी था. वही सफ़दर जिसके बिना भारत के थिएटर का इतिहास अधूरा है. वही सफ़दर जिसने नुक्कड़ नाटकों ने आम जनता तक थिएटर की पहुंच आसान की. वही सफ़दर जिसने लोगों को सिखाया कि कैसे ये नाटक विरोध-दर्ज़ करने का माध्यम भी है. और वही सफ़दर जिसके नाटक के कारण ही 34 साल की उम्र में उनकी जान ले ली गई.‘नामी गिरामी’ के इस एपिसोड में कहानी सफ़दर हाशमी की
प्रड्यूसर: मानव देव रावत
साउंड मिक्स: सूरज सिंह